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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. आक्रामकता की उत्पत्ति के क्या स्रोत हैं?
2. आक्रामक व्यवहार के उत्तेजक क्या हैं?
3. पुनर्बलन आक्रामकता को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
4. आक्रामकता का सामाजिक सीखना उपागम क्या है?

उत्तर -

सामाजिक अधिगम सिद्धान्त
(Social Learning Theory)

सामाजिक अधिगम सिद्धान्त का प्रतिपादन बैण्डूरा (Bandura, 1973) ने किया। इस सिद्धान्त के विकास में बैण्डूरा के अन्य सहयोगियों वाल्टर्स (Walters, 1975) आदि ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सिद्धान्त के अनुसार आक्रामकता एक प्रकार का सीखा गया व्यवहार होता है। सामाजिक अधिगम सिद्धान्त के आधार पर आक्रामकता की व्याख्या तीन आधारों पर होती है।

आक्रामक व्यवहार की उत्पत्ति के स्रोत
(Sources of Origin of Aggression)

इस सिद्धान्त के अनुसार आक्रामकता के निम्नलिखित तीन स्रोत हैं -

1. प्रेक्षण (Observation) - बैण्डूरा (Bandura, 1975) - ने इसे आक्रामकता की उत्पत्ति का प्रमुख स्रोत माना है। उनके अनुसार व्यक्ति आक्रामक व्यवहार को करते देखकर आक्रामक व्यवहार सीखता है। प्रेक्षणात्मक सीखना जीवन भर चलता रहता है। हमारे जीवन में प्रेक्षण के द्वारा आक्रामकता को सीखने के कई स्रोत हैं।

2. प्रत्यक्ष निर्देश (Direct Instruction ) - युद्ध में सैनिकों को अपने दुश्मन पर आक्रमण करने का आदेश देना एक प्रकार का प्रत्यक्ष निर्देश है जो आक्रामकता को बढ़ाता है।

3. प्रयत्न एवं त्रुटि (Trial and Error) - आक्रामकता का दूसरा प्रमुख स्रोत प्रयत्न एवं त्रुटि है। जैसे एक बालक दूसरे बालक पर आक्रमण करता है तथा परिस्थिति से विवश होने के कारण दूसरा बालक ( भागने की स्थिति में न होने के कारण) पहले बालक पर आक्रमण करता हैं और विजयी होता है।

आक्रामक व्यवहार के उत्तेजक
(Inslingators of Aggressive Behaviours)

बैण्डूरा (Bandura, 1975) ने अपने अधिगम सिद्धान्त के द्वारा न केवल आक्रामक व्यवहार के स्रोतों की व्याख्या की है बल्कि इस बात की भी व्याख्या की है कि आक्रामक व्यवहार को उकसाने वाले कारक कौन-कौन से हैं जिनसे आक्रामक व्यवहार घटित होने की सम्भावना में वृद्धि हो जाती है। इस सम्बन्ध में बैण्डूरा ने निम्नलिखित चार कारकों या उत्तेजकों की पहचान की है -

1. विरुचि विवेचन (Aversive Treatment) - समाज मनोवैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि दुःखदायी कष्टकर तथा कुण्ठित अनुभवों (Frustrating experiences ) से व्यक्ति न केवल सांवेगिक रूप से उत्तेजित होता है बल्कि उसमें आक्रामकता की प्रवृत्ति भी उत्पन्न होती है और वह समझ लेता है कि ऐसी आक्रामकता सामाजिक रूप से अनुमोदित भी होती है।

2. निर्देश (Instructions) - सामाजिक अधिगम में निर्देश को आक्रामकता को उकसाने वाला एक प्रमुख कारक माना गया है। मिलग्राम ( Milgram, 1964, 1965) ने अपने अध्ययनों में पाया कि प्रयोगकर्ता द्वारा निर्देश मिलने पर प्रयोज्य कुछ वयस्कों को निर्दयतापूर्वक उच्च वोल्ट का विद्युत आघात करते थे। किसी प्राधिकारी या वैसे ही लोगों से आक्रामकता का निर्देश मिलने पर व्यक्ति स्थिर मन से आक्रामक व्यवहार करता हुआ पाया जाता है।

3. प्रेक्षण (Observation) - बैण्डूरा (Bandura ) के अनुसार आक्रामकता को उकसाने वाला तीसरा कारक दूसरों को आक्रामक व्यवहार करते हुए देखना है। व्यक्ति जब दूसरों द्वारा किये गये आक्रामक व्यवहार का प्रेक्षण करता है तो उसमें वैसा ही व्यवहार करने की प्रेरणा स्वतः उत्पन्न हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति उस मॉडल से आक्रामकता के व्यवहार की सीखने के साथ-साथ यह भी सीख लेता है कि किस परिस्थिति में ऐसी प्रतिक्रिया उचित होगी।

4. प्रोत्साहन की प्रत्याशा ( Incentive Anticipation) - जब व्यक्ति को यह अनुभव होता है कि उसे आक्रामकता का प्रदर्शन करने से कुछ लाभ हो सकता है तो वह यही निर्णय लेता है कि वांछित लक्ष्य पर पहुँचने का उत्तम मार्ग आक्रामकता दिखलाना ही है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति आक्रामक व्यवहार करने से पहले ही सम्भावित दण्ड या पुरस्कार का अनुमान लगा लेता है। यदि पुरस्कार भी मात्रा सम्भावित दण्ड से अधिक होती है तो वह आक्रामक व्यवहार में तीव्रता दिखाता है परन्तु दण्ड की सम्भावना अधिक होने पर वह आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करने में शीघ्रता नहीं करता है।

पुनर्बलक (Reinforcers) - बैण्डुरा (Bandura, 1988) का मत है कि आक्रामकता के लिए पुनर्बलक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आक्रामकता को प्रभावित करने वाले प्रमुख पुनर्बलक निम्नलिखित हैं-

1. बाह्य पुनर्बलन (External Reinforcement ) बाह्य पुनर्बलन में पुरस्कार, सामाजिक प्रशंसा, अनुमोदन, कष्टों से मुक्ति एवं दूसरों को क्षति पहुंचाना आदि आता है। अध्ययनों से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि यदि आक्रामकता प्रदर्शित करने पर बाह्य पुनर्बलन मिलता है तो. भविष्य में आक्रामक व्यवहार को करने की संभावना अधिक होती।

2. आत्म पुनर्बलन (Self-reinforcement ) - आत्म पुनर्बलन में व्यक्ति अपने द्वारा प्रदर्शित आक्रामक व्यवहार पर संतुष्टि अनुभव करता है। अध्ययनों से ज्ञात होता है कि जिस आक्रमण को करने से व्यक्ति में आत्म पुनर्बलन उत्पन्न होता है तो वैसे आक्रामक व्यवहार करने की भविष्य में संभावना अधिक होती है।

3. स्थानापन्न पुनर्बलन (Vicarious Reinforcement ) - स्थानापन्न पुनर्बलन से आशय आक्रामक व्यवहार दिखलाने वाले व्यक्ति में आक्रामकता के फलस्वरूप उत्पन्न परिणाम में मनोवैज्ञानिक हिस्सेदारी होती है।

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सामाजिक अधिगम सिद्धान्त की प्रमुख आलोचनाएं निम्नलिखित हैं-

1. आक्रामकता व्यवहार क्यों सीखा जाता है, इस तथ्य की व्याख्या इस सिद्धांत द्वारा पूर्णरूप से नहीं हो पाती है। इसके द्वारा आक्रामक व्यवहार सीखने की प्रक्रिया की ही व्याख्या हो पाती है।

2. कुछ परिस्थितियों में आक्रामकता का प्रेक्षण करने के बावजूद भी आक्रामकता में वृद्धि नहीं हो पाती है। इस सिद्धान्त के अनुसार ऐसा नहीं होना चाहिए।

3. इस सिद्धान्त में आक्रामकता के लिए केवल सामाजिक अधिगम को उत्तरदायी माना गया है और इसमें जैविक कारकों की उपेक्षा की गयी है जबकि अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका हैं कि आक्रामकता का संबंध जैविक कारकों से भी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
  2. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  5. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  6. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  7. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
  14. प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
  15. प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
  16. प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
  18. प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
  20. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
  22. प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  23. प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  24. प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
  25. प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
  29. प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
  30. प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  34. प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
  35. प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  39. प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
  40. प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
  42. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
  48. प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
  49. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  51. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  57. प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
  60. प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
  61. प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
  66. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
  67. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
  71. प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
  72. प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
  73. प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
  76. प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
  83. प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
  85. प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
  88. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  90. प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
  91. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।

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